नमस्कार, सभी को इस पर निबंध लेखन मनोरंजन के आधुनिक साधन के बारे मे लिखा गया है।
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मनोरंजन के आधुनिक साधन
आनंद एवं शांति मनुष्य के जीवन की आधारशिला हैं। प्रसन्नता द्वारा मानव मन प्रफुल्लित रह सकता है।
इस प्रसन्नता का मूल स्रोत मनोरंजन है। मनोरंजन का शाब्दिक अर्थ है- मन का रंजन अर्थात मन को प्रसन्न रखना।
अतः मनोरंजन के साधनों द्वारा मन को शांति मिलती है तथा मानसिक एवं शारीरिक रूप से मनुष्य स्वस्थता का अनुभव करता है।
जिस तरह मनुष्य ने जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के आधुनिक साधनों की खोज की है, उसी प्रकार जीवन को आनन्दमय बनाने के हेतु मनोरंजन के साधनों की योजना की है।
दिन भर कठिन परिश्रम करने के बाद मनुष्य के मन-मस्तिष्क की थकान को दूर करने एवं मानसिक शांति पाने की कामना करता है।
मानव को अपने जीवन में कठोर परिश्रम करना पड़ता है, विभिन्न प्रकार की चिंताओं तथा समस्याओं से उसे संघर्ष भी करना पड़ता है।
इससे मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक थकावट होती है। दिन भर परिश्रम करते हुए उसका जीवन नीरस हो जाता है। फिर मनुष्य ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता ।
इस थकावट को दूर करने के लिए तथा-मन-मस्तिष्क को पुन: तरोताजा बनाने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता पड़ती है। फलत: मनोरंजन मानव जीवन का अपरिहार्य अंग बन गया है।
पुरातन काल से मानव को मनोरंजन की आवश्यकता का अनुभव होता रहा है। इसके फलस्वरूप मनोरंजन के अनेक साधनों का विकास होता रहा है।
समय परिवर्तन के साथ-साथ मनोरंजन के साधनों के स्वरूप में भी परिवर्तन आता जा रहा है।
प्राचीन काल में मानव जानवरों का शिकार करना जानवरों की दौड़, पशु-पक्षियों की लड़ाई, हथियारों का संचालन, कुश्ती तथा वाद्यों द्वारा अपना मनोरंजन कर लिया करता था।
धीरे-धीरे नाटक, नौटंकी, स्वाँग, रामलीला-रासलीला, कवि सम्मेलन तथा मुशायरे आदि के माध्यम से अपना मनोरंजन करता था।
उत्सव, मेंले तथा विभिन्न प्रकार के खेल सदैव से मनोरंजन के श्रेष्ठ साधन रहे हैं। आज भी इन . परंपरागत साधनों का महत्व कम नहीं हुआ है।
समय के बदलाव के साथ-साथ विज्ञान के नये-नये आविष्कारों ने मनोरंजन के नये-नये साधनों का भी आविष्कार किया है। रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन आदि इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
दूरदर्शन आधुनिक युग में मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण एवं नवीनतम साधन है। संगीत और समाचार प्रसारित करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
टेलीविजन के माध्यम से घर बैठे ही अच्छे से अच्छे नाटक, फिल्मों एवं गीतों के माध्यम से मनोरंजन करके अपने दिमाग को तरोजाता रख सकते हैं।
दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन है। इसका आनंद गरीब एवं अमीर दोनों ही उठा सकते हैं।
रेडियो भी मनोरंजन का प्रमुख साधन है। रेडियो के माध्यम से बटन दबाते ही समाचार, कविता, गीत-संगीत आदि सुनाई पड़ते हैं।
आधुनिक युग में शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में यह मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन बना हुआ है।
आज सिनेमा के माध्यम से मानव जाति अपना भरपूर मनोरंजन कर रही है। कुछ समय पहले सिनेमा में मूक चित्र होते थे।
लेकिन आज सिनेमा में रंगीन चित्रों के साथ ही मन को मोहित करने वाला मधुर संगीत भी आनंद को दुगुना कर देता है।
दर्शन के नायक एवं नायिकाओं को अभिनय करते हुए देखकर कुछ पल के लिए तो कल्पना लोक में विचरण करने लगते हैं।
आजकल शैक्षणिक कार्यक्रम भी सिनेमा एवं दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित किए जाने लगे हैं। अतः हम कह सकते हैं कि सिनेमा मनोरंजन का सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन है।
इसका मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
सर्कस एवं नाटक के माध्यम से भी लोगों का मनोरंजन होता है।
सर्कस में विचित्र एवं साहसपूर्ण कलाकारी, बंदर का साइकिल चलाना, जोकरों का झुले पर विचित्र ढंग से झूलना एवं मटकना तथा अन्य अनेक प्रकार के करतबों से युवकों का अत्यधिक मनोरंजन होता है।
बच्चे तो सर्कस के करतबों को देखकर अत्यन्त ही प्रसन्न होते हैं।
सैर तथा पिकनिक पर जाना भी मनोरंजन का एक प्रकार है। लोग गर्मियों के . दिनों में पार्क, उद्यान आदि में जाकर अपना मनोरंजन करते हैं।
बाग-बगीचों के रंग-बिरंगे, सुन्दर-सुन्दर पक्षियों की चहचहाहट हमें अपनी ओर अनायास ही आकर्षित कर लेती है।
पर्यटन भ्रमण आदि के माध्यम से भी लोग अपना भरपूर मनोरंजन करते हैं।
कहानी, उपन्यास, समाचार-पत्र तथा पत्रिकाओं से भी लोग अपना मनोरंजन करते हैं।
पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा युवक-युवतियाँ तथा बच्चे मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्द्धन भी करते हैं।
निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि मानव अपनी थकावट को दूर करने के लिए मनोरंजन का सहारा लेता है।
वह अनेक प्रकार से मनोरंजन के साधनों को अपनाता है। आज विज्ञान का युग है। फलस्वरूप नित नये मनोरंजन के साधनों का आर्विभाव हो रहा है।
आज के भौतिकवादी युग में मानव प्रातः से लेकर सायं तक अपने काम में कोल्हू के बैल की तरह जुता रहता है।
फलस्वरूप मानसिक तनाव एव थकान का अनुभव करता है। मनोरंजन के माध्यम से वह सुख-शान्ति एवं चैन का अनुभव करता है।
यद्यपि आज भारतवर्ष आजादी की खली हवा में साँस ले रहा है, प्रगति के नये-नये मानदण्ड स्थापित कर रहा है।
इतने पर भी देश की निर्धन जनता मनोरंजन के साधन का भरपूर लाभ नहीं उठा पा रही है। देश के मनीषियों एवं राष्ट्र के नायकों को इस ओर समुचित ध्यान देना चाहिए।
तभी भारत के स्वर्णिम भावष्य की कल्पना संजोयी जा सकती हैं। यथार्थ में मनोरंजन मानव की उन्नति एव शान्ति का अचूक साधन है।
अत: आइये, हम समस्त चिन्ताओं, परेशानियों एवं १यक भय से मुक्त होकर मनोरंजन के द्वारा शान्ति, आनन्द एवं राहत का अनुभव करें। इस विषय में किसी कवि के निम्न शब्द देखिए –
“दो दिन की जिन्दगी में हैं दुखड़े बेशुमार।
है जिन्दगी उसी की जो हँस-हँस के दे गुजार ॥”
Conclusion:
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