विद्यालय का वार्षिकोत्सव निबंध लेखन
नमस्कार, सभी को इस पर निबंध लेखन विद्यालय का वार्षिकोत्सव के बारे मे लिखा गया है।
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प्रत्येक विद्यालय में समय-समय पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस, गाँधी-जयन्ती तथा शिक्षक दिवस आदि, वर्ष में एक बार विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है।
इसे विद्यालय का वाषकोत्सव के नाम से जाना जाता है। यह उत्सव विद्यालय के स्थापना दिवस के रूप में अत्यन्त उल्लास एवं हर्ष के साथ मनाया जाता है।
हमारे विद्यालय में भी वार्षिकोत्सव बडी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। विद्यालय में वार्षिकोत्सव बसन्त पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस साल हमारे विद्यालय की स्थापना को 50 वर्ष पूरे चुके हैं। इसलिए विशाल स्तर पर वार्षिकोत्सव मनाने की घोषणा की गयी है।
नगर के समस्त गणमान्य नागरिकों, अफसरों एवं भूतपूर्व छात्रों तथा अभिभावकों को इस उत्सव में भोग लेने के लिए आमन्त्रित किया गया है।
विद्यालय भवन तथा क्रिडास्थल की सफाई की गयी, इस कार्य में छात्रों ने भी अथक परिश्रम किया। विद्यालय भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया।
वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये गये। खेल-कूद, समूह गान, एकांकी नाटक, नृत्य आदि की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गयीं।
कला एवं विज्ञान की प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। छात्रों द्वारा निर्मित कलाकृतियों एवं मॉडलों को दर्शकों ने बहुत सराहा।
कई कलाकृतियाँ तो बिल्कुल सजीव प्रतीत हो रही थीं। हमारे विद्यालय में कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।
इसमें देश भर के ख्याति प्राप्त कवियों ने हिस्सा लिया। उनके सन्दर गीतों एवं कविताओं ने श्रोताओं की मन्त्रमुग्ध कर दिया।
यह कार्यक्रम निरन्तर पाँच दिन तक चलता रहा। पाँचवें दिन समापन समारोह मनाया गया।
समापन समारोह की अध्यक्षता के लिए राज्य के शिक्षा मन्त्री को आमन्त्रित किया गया। समापन समारोह वाले दिन विद्यालय को विशिष्ट रूप से सजाया गया था।
रंग-बिरंगे कागज की झण्डियों, हरे-भरे पौधों तथा रंग-बिरंगे फूल विद्यालय की सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे।
विद्यालय के द्वार को को अशोक के पत्तों एवं फूलों की बन्दनवार से सजाया गया। शिक्षकों के निर्देशन में एन. सी. सी. के कैडेट तथा स्काउट अनुशासन एवं व्यवस्था बनाये रखने का कार्य कर रहे थे।
निर्धारित समय पर समापन तथा पुरस्कार वितरण समारोह प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम विद्या की देवी सरस्वती के भव्य चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया।
प्रधानाचार्य महोदय ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया, तत्पश्चात विद्यालय के इतिहास तथा प्रगति का विवरण दिया। छात्रों ने मुख्य अतिथि के स्वागत में स्वागत गीत गाया।
इसके समूह गान तथा एकांकी और प्रसहन के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। कुछ छात्रों ने देशभक्ति के गाने गाये।
उपस्थित गणमान्य नागरिकों ने बार-बार तालियाँ बजाकर इन कार्यक्रमों की सराहना की तथा छात्रों का उत्साहवर्धन किया।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी छात्र-छात्राओं को मुख्य अतिथि के करकमलों द्वारा पुरस्कार वितरित किये गये।
उन्होंने अपने भाषण में विद्यार्थियों को अनुशासन में रहने और देश और समाज के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया।
पाठशालाओं में इस प्रकार के उत्सवों का विशेष महत्त्व है।
इससे छात्रों के जीवन में नया जोश और उत्साह का संचार होता है तथा उनके अन्दर छिपी हुई प्रतिभा एवं योग्यता और क्षमता प्रदर्शित होती है।
छात्रों में परस्पर सहयोग, मैत्री एवं एकता की भावना विकसित होते हैं। अभिभावकों, नागरिकों और अधिकारियों को विद्यालय की गतिविधियों की जानकारी मिलती है।
शिक्षक, छात्र और अभिभावक परस्पर निकट आते हैं तथा विद्यालय का गौरव एवं सम्मान में वृद्धि होती है।
यथार्थ में विद्यालय के वार्षिकोत्सव विद्यालय की प्रगति एवं ख्याति के सूचक हैं। इससे छात्र नयी प्रेरणा ग्रहण करके जीवन-संग्राम में आगे बढ़ने का पाठ पढ़ते हैं। सहयोग तथा मैत्री की नींव दृढ़ होती है।