दुर्गा पूजा निबंध लेखन
नमस्कार, सभी को इस पर निबंध लेखन दुर्गा पूजा के बारे मे लिखा गया है।
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प्रस्तावना – भारत देश त्यौहारों का देश है। यहाँ पर वर्ष भर त्यौहारों की धूम रहती है। हमारे देश में राष्ट्रीय, धार्मिक एवं सामाजिक त्यौहार मनाने का प्रचलन है।
दुर्गा पूजा पूर्वी भारत का मुख्य त्यौहार है। लेकिन यह त्यौहार भारत के समस्त स्थानों पर परंपरागत रूप से मनाया जाता है।
पौराणिक कथानक- दुर्गा पूजा के विषय में अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। दुर्गा शक्ति का चिह्न है।
वह प्रकृति के देव शक्ति के रूप में तथा अन्य सौ नामों से विख्यात है। दुर्गा एक अपूर्व शक्ति का पुंज है, ऐसा अनेक विद्वानों का मत है।
देवी को महामाया, शम्भु-निशम्भु मर्दिनी, महिषासुर मर्दिनी आदि अनेक नामों से जाना है। महाभारत में युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन द्वारा महाशक्ति का आह्वान करवाया था।
इसके अतिरिक्त अन्य धार्मिक ग्रंथों में एवं पुराणों में देवी को महाशक्ति अथवा महामाया, योगमाया एवं शक्तिरूपिणी आदि नामों से पुकारा जाता है।
विश्व की शक्ति को आवृत्त करने वाली ‘योगमाया’ है। जिस समय मोह के वशीभूत होकर मधु कैटभ बेचैन होकर कर्महीन हो गए थे, उसी समय योगमाया ने अपनी प्रेरणा द्वारा ब्रह्माजी को विश्व के अंधकार में समाहित कर लिया था।
यही निराकार शक्ति का स्वरूप है। जब-जब संसार में अन्यायी राक्षसों ने पृथ्वी पर अत्याचार किये, तब-तब चंडी का रूप धारण कर देवी ने प्रजाजन की सुरक्षा की।
पुराणों में दुर्गा माँ को अनेक रूपों में चित्रित किया गया है। इस संसार में जन्म देने वाली माँ दुर्गा शक्ति का प्रतीक है।
जो लोग देवी का अपमान करते हैं, उनका देवी माँ संहार कर देती है। दुर्गा माँ की पूजा छह माह में एक बार होती है।
आश्विन माह में अमावस्या के दिन महालया होता है। इसी दिन लोग पूर्वजों का श्राद्ध श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक करते हैं। इसके बाद प्रतिपदा से नवरात्रि की पूजा प्रारंभ होती है।
नौ दिन तक लगातार देवी माँ की पूर्जा-अर्चना की जाती है। दशमी के दिन देवी , विसर्जन करके इस उत्सव की समाप्ति हो जाती है।
दुर्गा माँ शक्ति और आस्था की प्रतीक है। उनका नाम लेकर संकटों से लोग मुक्ति प्रात कर लेते हैं।
भारत देश प्रकृति की उपासना में आस्था रखता है, इसलिए यहाँ की धरती पर दुर्गा पूजा का एक विशिष्ट स्थान है।
दुर्गा मानव की विरक्ति का प्रतीक है। जबजब मानव के मन में संकट एवं निराशा के बादल उमडते-घुमडते हैं, तब-तब दुगा की शरण में जाकर वे एक अकथनीय सख एवं शांति का अनभव करते हैं। हमारे देश के महापुरुषों ने भी दुर्गा के महत्त्व को स्वीकारा है।
यथार्थ में दुर्गा पूजा तिमिर में उजाले की शक्ति का प्रतीक है। दुर्गा संकटमोचन हैं। दुर्गा पूजा में यत्र-तत्र बलि का आयोजन भी किया जाता है।
यह निंदनीय है। इस त्योहार को सादगीपूर्ण ढंग से सम्पन्न किया जाना चाहिए। आशा है, दुर्गा पूजा का त्यौहार जनमानस में खुशी, उत्साह एवं उमंग की एक नई लहर उत्पन्न करने में सक्षम होगा, तभी इस पर्व का मानना सार्थक प्रमाणित होगा।